#132. प्रेरणा (Motivation) क्षणिक है, इसलिए इसे रोज़ाना ताज़ा करें

नमस्ते दोस्तों,

हम सभी उस अद्भुत भावना को जानते हैं जिसे प्रेरणा (Motivation) कहते हैं। वह क्षण जब आप जोश से भरे होते हैं, दुनिया जीतने के लिए तैयार होते हैं, और आपको लगता है कि आप कोई भी काम कर सकते हैं। लेकिन अक्सर यह भावना जल्दी ही फीकी पड़ जाती है।

लोग अक्सर कहते हैं: "प्रेरणा ज़्यादा देर टिकती नहीं।"

यह बात बिल्कुल सच है! लेकिन एक महान विचारक ने इसका जवाब बहुत खूबसूरती से दिया है: "ठीक है, स्नान (Bathing) भी ज़्यादा देर तक ताज़गी नहीं देता—इसीलिए हम इसे रोज़ाना करने की सलाह देते हैं।"

यह विचार हमें सिखाता है कि सफलता के लिए प्रेरणा का इंतज़ार करना नहीं, बल्कि उसे दैनिक आदत बनाना ज़रूरी है।


प्रेरणा क्यों नहीं टिकती?

प्रेरणा एक भावनात्मक स्थिति है, यह कोई स्थायी संसाधन नहीं। यह बाहरी कारणों से उत्पन्न हो सकती है—जैसे कोई अच्छा वीडियो देखना, कोई प्रेरणादायक किताब पढ़ना, या किसी सफल व्यक्ति से बात करना।

  • भावनात्मक उतार-चढ़ाव: हमारी भावनाएँ हर दिन बदलती हैं। कल का उत्साह आज की थकान में बदल सकता है।

  • बदलती प्राथमिकताएँ: जैसे ही कोई नई चुनौती या डिस्ट्रैक्शन सामने आता है, हमारी पिछली प्रेरणा कमज़ोर पड़ जाती है।

इसलिए, प्रेरणा का ख़त्म होना कोई विफलता नहीं है; यह मानव स्वभाव है। हमें इसे रोज़ाना चार्ज करना सीखना होगा।


प्रेरणा को 'स्नान' क्यों बनाना चाहिए?

स्नान करना सिर्फ़ गंदगी हटाने के लिए नहीं है; यह एक दैनिक शुद्धि और ताज़गी का कार्य है।

स्नान की तरह (दैनिक कार्य)प्रेरणा की तरह (मानसिक कार्य)
उद्देश्य: शरीर को साफ़ करना और ताज़गी देना।उद्देश्य: मन को साफ़ करना और ऊर्जा देना।
परिणाम: यह तुरंत ख़त्म हो जाता है, पर आपको तैयार करता है।परिणाम: यह तुरंत ख़त्म हो जाती है, पर आपको काम शुरू करने के लिए तैयार करती है।
नियम: इसे रोज़ाना करना पड़ता है, चाहे आप थके हों या व्यस्त।नियम: आपको हर सुबह अपने लक्ष्य और कारण को याद करना पड़ता है।

सफल लोग इसलिए सफल नहीं होते कि उनमें हमेशा प्रेरणा होती है, बल्कि इसलिए कि उन्होंने अनुशासन (Discipline) को प्रेरणा से ज़्यादा महत्व दिया है।


रोज़ाना खुद को प्रेरित करने के तरीके

अपनी प्रेरणा को दैनिक आदत बनाने के लिए इन 'मानसिक स्नान' को अपनाएँ:

  1. सुबह का निवेश: अपने दिन की शुरुआत 10 मिनट उन चीज़ों को पढ़कर या सुनकर करें जो आपके लक्ष्य से संबंधित हैं। यह आपकी प्रेरणा को सकारात्मक दिशा देता है।

  2. अपना 'क्यों' याद करें: जब भी काम करने का मन न करे, तो उस गहरे कारण (Why) को याद करें जिसके लिए आपने यह लक्ष्य चुना था। यह आपका सबसे शक्तिशाली प्रेरक है।

  3. छोटी जीतें मनाएँ: हर दिन एक छोटा लक्ष्य पूरा करें और खुद को शाबाशी दें। ये छोटी सफलताएँ ही आपकी प्रेरणा को लंबे समय तक ज़िंदा रखती हैं।

  4. नकारात्मकता से बचें: जिस तरह आप गंदी जगह पर स्नान नहीं करते, उसी तरह उन लोगों या सामग्री (कंटेंट) से दूर रहें जो आपकी प्रेरणा को खत्म करते हैं।


निष्कर्ष

प्रेरणा के भरोसे बैठना छोड़ें।

अगर आप ज़िंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हैं, तो प्रेरणा को एक दुर्लभ घटना नहीं, बल्कि एक दैनिक अनुशासन बनाएँ। हर सुबह उठकर, अपने मन को उसी तरह ताज़ा और शुद्ध करें जैसे आप अपने शरीर को करते हैं।

याद रखें, निरंतरता (Consistency) ही वह पुल है जो अस्थायी प्रेरणा को स्थायी सफलता से जोड़ता है।

धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.

Comments