नमस्ते दोस्तों,
जब हम सफलता के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग़ में अक्सर अचानक मिली बड़ी जीत की तस्वीरें आती हैं—जैसे किसी ने एक रात में कोई बड़ा आइडिया दिया, या किसी ने एक ही प्रयास में कोई रिकॉर्ड तोड़ दिया। हम इसे 'हाई जंप' (ऊँची छलांग) या 'लॉन्ग जंप' (लंबी छलांग) की तरह देखते हैं।
लेकिन यह नज़रिया हमें निराश करता है। जब हमें वो 'जादुई छलांग' नहीं मिलती, तो हम सोचते हैं कि हम सफल नहीं हो सकते।
सच्चाई यह है कि सफलता की प्रकृति इससे बिल्कुल अलग है: सफलता न ऊँची छलांग है, न लंबी छलांग; यह मैराथन के छोटे-छोटे कदम हैं।
छलांग का भ्रम और मैराथन का सत्य
सफलता को छलांग की तरह देखना खतरनाक है, क्योंकि यह सिखाता है कि आपको रातों-रात (Overnight) बड़ा बदलाव लाना होगा।
छलांग की सोच:
अपेक्षा: यह सोचती है कि एक ही बड़ा प्रयास काफी होगा।
परिणाम: जब बड़ा परिणाम तुरंत नहीं मिलता, तो हम जल्दी हार मान लेते हैं।
ध्यान: यह अंतिम लक्ष्य पर केंद्रित होती है, प्रक्रिया पर नहीं।
मैराथन की सोच:
अपेक्षा: यह जानती है कि सफलता धीमी, क्रमिक (Incremental) और लगातार होती है।
परिणाम: हर छोटा कदम, भले ही वह मुश्किल हो, आपको मंज़िल के करीब लाता है। यह आपको टिके रहने की प्रेरणा देती है।
ध्यान: यह आज के कदम पर केंद्रित होती है, न कि अंतिम रेखा पर।
सफलता की मैराथन के तीन सबक
मैराथन दौड़ने वाले धावक हमें सिखाते हैं कि कैसे बड़े लक्ष्यों को हासिल करना है:
1. लगातार प्रयास (Consistency)
मैराथन जीतने वाला व्यक्ति सबसे तेज़ नहीं भागता, बल्कि वह लगातार भागता रहता है। सफलता का रहस्य भी यही है—रोज़ थोड़ा, मगर ज़रूर।
आज 30 मिनट पढ़ना, कल 5 घंटे की मेहनत से ज़्यादा मायने रखता है।
यह रोज़ का अनुशासन (Discipline) ही समय के साथ एक बड़ा 'कंपाउंड प्रभाव' (Compound Effect) पैदा करता है।
2. गति पर नियंत्रण (Pacing Yourself)
एक मैराथन धावक जानता है कि शुरुआत में बहुत तेज़ भागने से वह जल्दी थक जाएगा। सफल व्यक्ति भी जानता है कि जुनून अच्छा है, लेकिन उसे जलाना नहीं है।
अपने संसाधनों (समय, ऊर्जा, पैसा) का समझदारी से उपयोग करें।
संतुलन बनाएँ ताकि आप बिना जले (Burnout) लंबे समय तक काम कर सकें।
3. मुश्किल क्षणों में टिके रहना (Endurance in Tough Times)
मैराथन में एक ऐसा क्षण आता है जब शरीर जवाब दे देता है—इसे 'वॉल हिट करना' कहते हैं। ठीक वैसे ही, सफलता की राह में भी निराशा और हार मानने के क्षण आते हैं।
यह क्षण तय करता है कि आप सफल होंगे या नहीं।
असफल लोग यहीं रुक जाते हैं, जबकि सफल लोग बस एक कदम और आगे बढ़ाते हैं।
निष्कर्ष
अगर आप अपनी ज़िंदगी में कोई बड़ा बदलाव लाना चाहते हैं—कोई बड़ा व्यापार शुरू करना चाहते हैं, या कोई कठिन कौशल सीखना चाहते हैं—तो अपनी सोच बदलें।
ऊँची छलांग की उम्मीद न करें। बस अपने जूते पहनें और आज का कदम उठाएँ।
मैराथन की तरह, अपनी मंज़िल तक पहुँचने के लिए आपको बस यह सुनिश्चित करना है कि आप रुकेंगे नहीं। आपके छोटे-छोटे, लगातार प्रयास ही वह दूरी तय करेंगे जो कभी नामुमकिन लगती थी।
धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.
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