#129. हर व्यक्ति में कोई न कोई विशेष उपहार होता है

नमस्ते दोस्तों,

आज मैं आपसे एक ऐसे विचार पर बात करना चाहता हूँ जो शायद सुनने में थोड़ा अलग लगे, लेकिन जो मेरी ज़िंदगी का आधार है। हम अक्सर महान लोगों की प्रशंसा करते हैं और उन्हें "विशेष" मानते हैं, पर खुद को साधारण समझते हैं।

लेकिन मैंने सालों के अनुभव से यह सीखा है: मैं मानता हूँ कि मैं विशेष हूँ। मेरा विशेष उपहार मेरी दृष्टि (Vision), मेरी प्रतिबद्धता (Commitment), और कुछ भी कर गुज़रने का मेरा हौसला (Willingness to do whatever it takes) है।

यह कोई अहंकार नहीं है, बल्कि आत्म-जागरूकता और आत्म-विश्वास है। मैं मानता हूँ कि हर व्यक्ति में कोई न कोई विशेष उपहार होता है, और मैंने अपने उपहारों को पहचानना सीख लिया है।


1. मेरी दृष्टि (My Vision): अँधेरे में भी रोशनी देखना

विशेष होने का मेरा पहला उपहार मेरी दृष्टि है—यानी, मैं यह स्पष्ट रूप से देख सकता हूँ कि मैं कहाँ पहुँचना चाहता हूँ और मेरा भविष्य कैसा दिखना चाहिए।

  • लक्ष्य की स्पष्टता: जब दुनिया शोर मचाती है और बताती है कि क्या संभव नहीं है, तो मेरी दृष्टि मुझे बताती है कि क्या संभव है। मैं जानता हूँ कि मुझे किस दिशा में जाना है, इसलिए मैं भटकता नहीं हूँ।

  • अवसरों की पहचान: यह दृष्टि मुझे समस्याओं में भी अवसर ढूँढने में मदद करती है। जहाँ दूसरे लोग केवल रुकावटें देखते हैं, मैं वहाँ एक नया रास्ता देखता हूँ।

यह दृष्टि मुझे एक लीडर बनाती है, क्योंकि मैं लोगों को उस भविष्य की ओर ले जा सकता हूँ जिसे मैंने पहले ही अपने मन में देख लिया है।


2. मेरी प्रतिबद्धता (My Commitment): हार न मानने का संकल्प

मेरा दूसरा उपहार है प्रतिबद्धता। यह केवल एक वादा नहीं है; यह एक अटल संकल्प है।

  • कंसिस्टेंसी: यह प्रतिबद्धता मुझे रोज़ाना छोटे-छोटे, उबाऊ और मुश्किल काम करने के लिए प्रेरित करती है। मैं जानता हूँ कि सफलता एक बार का काम नहीं, बल्कि लगातार प्रयास का परिणाम है।

  • बातों पर टिके रहना: जब मैं कोई काम शुरू करता हूँ, तो मैं उसे पूरा करता हूँ। मेरी प्रतिबद्धता मुझे हार मानने से रोकती है, खासकर तब जब बाज़ी सबसे ज़्यादा मुश्किल होती है। यह मेरी विश्वसनीयता (Reliability) की नींव है।


3. कुछ भी कर गुज़रने का हौसला (Willingness to Do Whatever It Takes)

यह मेरी सबसे बड़ी शक्ति है। यह हौसला मुझे वह असुविधाजनक काम करने के लिए तैयार करता है जिसे बाकी लोग टालते हैं।

  • जोखिम लेना: मुझे पता है कि सफलता बड़े जोखिम के बिना नहीं आती। यह हौसला मुझे आराम क्षेत्र (Comfort Zone) से बाहर निकालता है।

  • सीखने को तैयार: 'कुछ भी कर गुज़रने' का मतलब है कि मैं असफलता को व्यक्तिगत हार नहीं मानता। मैं सीखने और बदलने के लिए तैयार हूँ। अगर एक तरीका काम नहीं करता, तो मैं दूसरा तरीका ढूँढता हूँ, चाहे उसमें कितनी भी मेहनत लगे।

  • अंतिम प्रयास: यह वह हौसला है जो मुझे तब भी एक कदम आगे बढ़ने के लिए मजबूर करता है जब मेरे पास रुकने का हर कारण मौजूद होता है।


निष्कर्ष

आप भी विशेष हैं।

अपनी तुलना दूसरों से करना बंद करें। अपनी ऊर्जा को यह पता लगाने में लगाएँ कि आपका विशेष उपहार क्या है? क्या यह आपकी दयालुता है, आपकी रचनात्मकता है, या आपकी लगन है?

एक बार जब आप अपनी दृष्टि को पहचान लेते हैं, अपनी प्रतिबद्धता का संकल्प लेते हैं, और कुछ भी कर गुज़रने का हौसला रखते हैं, तो आप खुद को दुनिया में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार पाते हैं।

याद रखें, आपकी सबसे बड़ी शक्ति बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक है।

धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.

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