नमस्ते दोस्तों,
हम अपनी ज़िंदगी में अक्सर लक्ष्यों को उनकी कठिनाई के हिसाब से बाँट देते हैं: आसान, मुश्किल, और नामुमकिन। जब हम किसी काम को मुश्किल मानते हैं, तो हम तैयारी करते हैं कि इसमें समय और मेहनत लगेगी। लेकिन जब हम किसी चीज़ को नामुमकिन मान लेते हैं, तो हम वहीं रुक जाते हैं।
आज मैं आपको एक ऐसा विचार देना चाहता हूँ जो आपकी सोच की सीमाओं को तोड़ देगा: जो काम मुश्किल है, उसमें समय लगता है... और जो नामुमकिन है, उसमें बस थोड़ा और ज़्यादा समय लगता है।
यह केवल एक प्रेरणादायक कथन नहीं है; यह मानव संकल्प और सतत प्रयास की शक्ति का एक सीधा गणित है।
मुश्किल बनाम नामुमकिन: केवल समय का अंतर
मुश्किल काम वह है जिसके लिए आपके पास ज्ञान, संसाधन या कौशल की कमी है। जैसे, एक नई भाषा सीखना या किसी बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करना। आप जानते हैं कि यह हो सकता है, पर रास्ता कठिन है।
लेकिन नामुमकिन वह है जिसे आपके दिमाग़ ने अस्वीकार कर दिया है। आपका दिमाग़ कहता है, "यह मेरे बस की बात नहीं है।"
सच्चाई यह है कि इतिहास में हर वह चीज़ जिसे कभी नामुमकिन माना गया था—जैसे उड़ना, या हफ्तों में महासागर पार करना—वह इंसानों के अतिरिक्त समय और अतिरिक्त प्रयास से ही संभव हुआ है।
- मुश्किल काम: आप 100% प्रयास करते हैं, और यह 1 साल में हो जाता है। 
- नामुमकिन काम: आप 100% नहीं, बल्कि 150% प्रयास करते हैं, और यह 2 साल में हो जाता है। 
दोनों में फ़र्क केवल लचीलेपन (Resilience) और धैर्य (Patience) का होता है।
अतिरिक्त समय, अतिरिक्त प्रयास: सफलता का समीकरण
जब आप नामुमकिन को संभव बनाने की कोशिश करते हैं, तो आपको तीन चीज़ों में 'थोड़ा और' निवेश करना होता है:
- थोड़ा और प्रयास (Extra Effort): आपको वह करना पड़ता है जो बाकी लोग नहीं कर रहे हैं। आपको देर रात तक जागना पड़ता है, अस्वीकृति (Rejection) को सहना पड़ता है, और बार-बार असफल होकर फिर से उठना पड़ता है। 
- थोड़ा और रचनात्मकता (Extra Creativity): नामुमकिन काम करने के लिए पुराने रास्ते काम नहीं करते। आपको लीक से हटकर सोचना पड़ता है, नए समाधान खोजने पड़ते हैं। यह अतिरिक्त प्रयास आपके दिमाग़ को रचनात्मकता के लिए मजबूर करता है। 
- थोड़ा और विश्वास (Extra Belief): सबसे ज़रूरी, आपको उस समय भी अपने लक्ष्य पर विश्वास बनाए रखना होता है, जब पूरी दुनिया आपको बता रही हो कि आप पागल हैं। यह अतिरिक्त विश्वास ही आपको वह अतिरिक्त समय देता है। 
निष्कर्ष
अपनी ज़िंदगी के लक्ष्यों को उनकी कठिनाई के आधार पर सीमित मत कीजिए।
अगली बार जब आप किसी बड़े लक्ष्य को देखें और आपका मन उसे नामुमकिन कहे, तो रुकिए और खुद से कहिए: "यह नामुमकिन नहीं है। इसमें बस थोड़ा और समय और थोड़ा और प्रयास लगेगा।"
अपनी मेहनत, लगन और अटूट संकल्प के साथ, आप देखेंगे कि समय बीतता जाएगा, और जो चीज़ें कल नामुमकिन थीं, वे आज आपकी सबसे बड़ी उपलब्धियाँ बन जाएँगी।
धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.
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