नमस्ते दोस्तों,
जैसे ही सर्दियाँ दस्तक देती हैं और हवा में हल्की ठंडक घुलती है, हमारे मन को एक त्योहार का इंतज़ार रहता है—वह है दीपावली। यह केवल दीयों की जगमगाहट, मिठाइयों की मिठास और पटाखों का शोर नहीं है, बल्कि यह हमारे भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा और सबसे गहरा पर्व है।
दिवाली, जिसे रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है, अमावस्या की काली रात को ज्ञान, समृद्धि और खुशी के प्रकाश से भर देता है।
दिवाली का असली अर्थ: अंधकार पर प्रकाश की विजय
दिवाली का महत्व केवल एक दिन की पूजा में नहीं, बल्कि इसके पीछे छिपे गहरे अर्थ में है:
राम की विजय (आध्यात्मिक प्रकाश): सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास और रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या लौटे थे। अयोध्यावासियों ने घी के दीये जलाकर उनका स्वागत किया। यह दीये अधर्म पर धर्म की विजय और अज्ञान पर ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक हैं।
देवी लक्ष्मी का आगमन (समृद्धि का प्रकाश): दिवाली की रात को देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि वह इसी रात पृथ्वी पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। यह हमें याद दिलाता है कि समृद्धि का मतलब केवल पैसा नहीं, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य, अच्छे संबंध और अच्छा जीवन भी है।
भीतर का अंधकार (आत्म-शुद्धि): दिवाली से पहले घर की सफ़ाई करने की परंपरा है। यह सफ़ाई सिर्फ़ घर की नहीं, बल्कि हमारे मन की भी होनी चाहिए। हमें अपने अंदर के ईर्ष्या, क्रोध और नकारात्मकता के अंधकार को दूर करके सद्भाव और प्रेम के प्रकाश को जलाना चाहिए।
दिवाली की परंपराएँ और उनका महत्व
दिवाली का पर्व पाँच दिनों तक चलता है, और हर दिन का अपना विशेष महत्व है:
1. धनतेरस (धन और स्वास्थ्य)
इस दिन भगवान धन्वंतरि (स्वास्थ्य के देवता) और कुबेर जी (धन के कोषाध्यक्ष) की पूजा होती है। इस दिन नए बर्तन या सोना खरीदना घर में आरोग्य और स्थिरता लाता है।
2. नरक चतुर्दशी/छोटी दिवाली (बुराई पर अच्छाई)
यह वह दिन है जब भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। यह हमें याद दिलाता है कि हमारे जीवन में भी छोटी-छोटी बुराइयों को दूर करना ज़रूरी है। इस दिन शरीर पर तेल लगाकर स्नान करने की परंपरा है, जो आंतरिक शुद्धता का प्रतीक है।
3. महालक्ष्मी पूजा/बड़ी दिवाली
यह सबसे मुख्य दिन है। अमावस्या की रात को घरों को दीयों से सजाया जाता है और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीये जलाना शुभकामना और अंधेरे को दूर भगाने का प्रतीक है।
4. गोवर्धन पूजा
यह प्रकृति और अन्न की महत्ता को दर्शाता है। यह हमें याद दिलाता है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए।
5. भाई दूज
यह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का त्योहार है, जो पारिवारिक संबंधों की महत्ता को पुष्ट करता है।
इस दिवाली क्या करें?
इस दिवाली, आइए हम कुछ नया संकल्प लें:
बाहरी नहीं, आंतरिक प्रकाश जलाएँ: पटाखों पर कम, और अपने विचारों को सकारात्मक बनाने पर ज़्यादा ध्यान दें।
संबंधों में मिठास लाएँ: उन लोगों से बात करें जिनसे आप लंबे समय से बात नहीं कर पाए हैं। क्षमा करें और प्रेम फैलाएँ।
दूसरों के लिए दीप बनें: अपने आसपास के उन लोगों की मदद करें जिनकी ज़िंदगी में अंधेरा है। किसी ज़रूरतमंद के लिए एक उम्मीद की किरण बनें।
आप सभी को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ! आपका जीवन ज्ञान, समृद्धि और अनंत खुशी के प्रकाश से भरा रहे।
धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Sri Dungargarh, Bikaner.
Comments
Post a Comment