#112. धनतेरस: क्यों खरीदा जाता है सोना और बर्तन? समृद्धि और स्वास्थ्य का त्योहार 🪔✨

नमस्ते दोस्तों,

दीपावली का त्योहार आते ही सबसे पहले जिस पर्व का नाम हमारे मन में आता है, वह है धनतेरस। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व केवल खरीदारी का दिन नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण का प्रतीक है।

इस दिन लोग नई वस्तुएं, विशेष रूप से सोना, चांदी और बर्तन खरीदते हैं। लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है? आइए, इस शुभ दिन के महत्व और इसके पीछे की कहानियों को समझते हैं।


क्यों मनाया जाता है धनतेरस?

धनतेरस का पर्व मुख्य रूप से दो प्रमुख देवों से जुड़ा है:

1. धन के देवता कुबेर और देवी लक्ष्मी

यह दिन देवी लक्ष्मी के आगमन की तैयारी का होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए, उनकी पूजा कर उन्हें घर में आमंत्रित किया जाता है। साथ ही, धन के कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर की पूजा भी की जाती है ताकि घर में धन की स्थिरता बनी रहे।

2. स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि

धनतेरस को 'धन त्रयोदशी' भी कहा जाता है। इस दिन आयुर्वेद के जनक और देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वे समुद्र मंथन के दौरान अपने हाथों में अमृत कलश (अमृत से भरा बर्तन) लेकर प्रकट हुए थे।

इसलिए, इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है ताकि परिवार को उत्तम स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति मिले। यही कारण है कि धनतेरस को धन (पैसा) और धन्वंतरि (स्वास्थ्य) दोनों का त्योहार माना जाता है।


धनतेरस पर खरीदारी का महत्व (सोना, चांदी और बर्तन)

इस दिन नई वस्तुएं खरीदने की परंपरा केवल फैशन नहीं, बल्कि शुभ शकुन है।

1. बर्तन खरीदना: अमृत कलश का प्रतीक

धनतेरस पर बर्तन खरीदने का सबसे बड़ा कारण भगवान धन्वंतरि हैं, जो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। नए बर्तन खरीदना समृद्धि को घर में 'भरकर' लाने का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि नए बर्तन घर में समृद्धि और आरोग्य लाते हैं। कई लोग इस दिन पीतल या तांबे के बर्तन खरीदते हैं, क्योंकि ये धातुएं धन्वंतरि जी को प्रिय हैं और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी मानी जाती हैं।

2. सोना और चांदी: स्थिरता और अक्षय पुण्य

सोना (Gold) और चांदी (Silver) को शुद्धता, स्थिरता और अक्षय पुण्य (कभी खत्म न होने वाला पुण्य) का प्रतीक माना जाता है। इस दिन धातु खरीदना, विशेषकर सोना, इस बात का प्रतीक है कि आपके घर में धन और समृद्धि हमेशा स्थिर रहेगी और समय के साथ बढ़ती जाएगी। यह केवल भौतिक धन नहीं, बल्कि सौभाग्य का भी प्रतीक है।

3. झाड़ू खरीदना: दरिद्रता का निवारण

कई जगहों पर धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है। झाड़ू को देवी लक्ष्मी का रूप माना जाता है, क्योंकि यह घर से दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालती है। इसे घर में नई समृद्धि और स्वच्छता लाने का प्रतीक माना जाता है।


कैसे मनाएँ धनतेरस?

  1. स्वच्छता: धनतेरस के दिन घर की अच्छी तरह से सफ़ाई करें।

  2. खरीदारी: अपनी क्षमतानुसार कोई नई धातु या बर्तन घर लाएँ।

  3. धन्वंतरि पूजा: स्वास्थ्य की कामना के लिए भगवान धन्वंतरि की पूजा करें।

  4. यम दीप दान: इस दिन संध्या के समय घर के बाहर यमराज के नाम का एक दीपक जलाया जाता है। इसे 'यम दीप दान' कहते हैं, जो परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए किया जाता है।

  5. लक्ष्मी-कुबेर पूजा: शाम को शुभ मुहूर्त में देवी लक्ष्मी, कुबेर जी और गणेश जी की पूजा करें।

धनतेरस हमें याद दिलाता है कि जीवन में स्वास्थ्य (धन्वंतरि) और धन (लक्ष्मी) दोनों का होना ज़रूरी है।

धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.

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