#109. राय बदलना छोड़ो, अपना काम करो: ऊर्जा बचाओ और आगे बढ़ो

नमस्ते दोस्तों,

हम अपनी ज़िंदगी का एक बड़ा हिस्सा दूसरों को समझाने और उनकी राय बदलने में खर्च कर देते हैं। हम चाहते हैं कि हर कोई हमारे काम को पसंद करे, हमारी बात से सहमत हो और हमारे फैसलों की सराहना करे। जब ऐसा नहीं होता, तो हम निराश हो जाते हैं और अपनी सारी ऊर्जा दूसरों की स्वीकृति (Validation) पाने में लगा देते हैं।

यह एक ऐसा विचार है जो आपको मानसिक स्वतंत्रता देगा: अपनी ऊर्जा लोगों की राय बदलने में बर्बाद मत करो; अपना काम करो, और इसकी परवाह मत करो कि उन्हें यह पसंद है या नहीं।


राय क्यों नहीं बदलती?

लोगों की राय बदलना लगभग नामुमकिन क्यों है, इसके कुछ कारण हैं:

  1. पूर्वग्रह का जाल (Confirmation Bias): लोग उन्हीं चीज़ों पर विश्वास करते हैं जो उनके पहले से बने विचारों को पुष्ट करती हैं। अगर किसी ने मान लिया है कि आप ग़लत हैं, तो आपके तर्क उनकी राय को शायद ही बदल पाएँगे।

  2. मानसिक ऊर्जा की कमी: हर व्यक्ति अपने जीवन की चुनौतियों में व्यस्त है। उनके पास आपकी बात को गहराई से समझने या आपकी राय से सहमत होने के लिए आवश्यक मानसिक ऊर्जा नहीं है।

  3. ईगो (Ego): अपनी राय को ग़लत साबित होते देखना लोगों के ईगो को ठेस पहुँचाता है। वे अपनी बात पर इसलिए टिके रहते हैं क्योंकि उन्हें झुकना पसंद नहीं।

जब आप इस सच्चाई को स्वीकार कर लेते हैं, तो आप अपनी ऊर्जा को एक व्यर्थ की लड़ाई में लगाना छोड़ देते हैं।


अपना काम क्यों करना चाहिए?

जब आप दूसरों की राय को नज़रअंदाज़ करके अपना काम करते हैं, तो आपकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है:

  1. फोकस की वापसी (Focus Reclaimed): आपकी सारी ऊर्जा, जो पहले चिंता और समझाने में खर्च हो रही थी, अब आपके लक्ष्य पर केंद्रित हो जाती है। आप तेज़ी से आगे बढ़ते हैं।

  2. प्रामाणिकता (Authenticity): जब आप दूसरों की परवाह करना छोड़ देते हैं, तो आप वही काम करते हैं जिस पर आपको विश्वास है। आप सच्चे बने रहते हैं। यही प्रामाणिकता आपको एक मज़बूत पहचान देती है।

  3. परिणाम ही जवाब है: जब आप लगातार मेहनत करते रहते हैं, तो आपके परिणाम खुद-ब-खुद लोगों को जवाब देते हैं। सफलता सबसे बड़ा तर्क है, और इसके लिए आपको एक शब्द भी कहने की ज़रूरत नहीं होती।


निष्कर्ष

आपकी ज़िंदगी का उद्देश्य दूसरों की स्वीकृति पाना नहीं है। आपका उद्देश्य वह काम करना है जिस पर आप विश्वास करते हैं, जो आपको खुशी देता है, और जो दुनिया में कुछ मूल्य जोड़ता है।

अपनी शक्ति को अपनी रचनात्मकता में लगाएँ, न कि दूसरों को समझाने में।

अगली बार जब कोई आपकी आलोचना करे या आपकी बात से सहमत न हो, तो गहरी साँस लें और बस अपना काम करते रहें। क्योंकि आपकी मानसिक शांति और आपकी सफलता, किसी और की राय से ज़्यादा ज़रूरी है।

धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.

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