नमस्ते दोस्तों,
हम अपनी ज़िंदगी में सफलता या असफलता के बारे में अक्सर दो बातें कहते हैं: "यह मेरी किस्मत में था," या "मुझे सही मौका नहीं मिला।" हम भाग्य (Luck) और संयोग (Chance) को अपनी ज़िंदगी की बागडोर सौंप देते हैं।
लेकिन क्या यह सच है? क्या हम केवल कठपुतलियाँ हैं जो किस्मत के इशारों पर नाचती हैं?
यह एक ऐसा विचार है जो हमें हमारी सबसे बड़ी शक्ति—निर्णय लेने की शक्ति—से मिलाता है: इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप भाग्य या मौके में विश्वास करते हैं, अंतिम फैसला हमेशा आपका होता है।
भाग्य और मौका: शुरुआती बिंदू
हाँ, मैं मानता हूँ कि भाग्य और मौका हमारे जीवन में एक भूमिका निभाते हैं।
मौका (Chance): मौका वह है जब आपको अचानक कोई अवसर मिलता है—जैसे कोई नया संपर्क, कोई अच्छी नौकरी का विज्ञापन, या कोई लाभकारी निवेश का विचार। मौका एक दरवाज़ा है जो आपके सामने खुलता है।
भाग्य (Luck): भाग्य वह पृष्ठभूमि है जिसे आप नियंत्रित नहीं कर सकते—जैसे आप कहाँ पैदा हुए, आपका परिवार कैसा है, या दुनिया की आर्थिक स्थिति क्या है।
ये दोनों चीज़ें आपके नियंत्रण में नहीं हैं। ये सिर्फ़ शुरुआती बिंदू तय करते हैं।
अंतिम फैसला: आपकी प्रतिक्रिया
लेकिन, जब आपके सामने मौका आता है या जब आपके भाग्य के कारण कोई चुनौती आती है, तो आप कैसे प्रतिक्रिया करते हैं—यही आपका अंतिम फैसला होता है।
मौके पर फैसला: जब आपके सामने एक नया व्यापारिक अवसर आता है (मौका), तो आप क्या करते हैं?
क्या आप डरकर पीछे हट जाते हैं? (यह आपका अंतिम फैसला है।)
या आप जोखिम लेते हैं, योजना बनाते हैं और उस पर मेहनत करते हैं? (यह आपका अंतिम फैसला है।)
चुनौती पर फैसला: जब आपके जीवन में कोई बड़ी मुश्किल आती है (भाग्य), तो आप क्या करते हैं?
क्या आप उसे अपनी नियति मानकर शिकायत करते रहते हैं? (यह आपका अंतिम फैसला है।)
या आप उसे एक चुनौती मानकर उससे लड़ने का रास्ता खोजते हैं? (यह आपका अंतिम फैसला है।)
आपकी ज़िंदगी का परिणाम इस बात से तय नहीं होता कि आपके सामने कौन सा कार्ड आया, बल्कि इस बात से तय होता है कि आपने उस कार्ड को कैसे खेला।
अपनी शक्ति वापस लें
जब आप अपनी सफलता या असफलता का ज़िम्मा किस्मत या मौके पर डालते हैं, तो आप अपनी शक्ति को छोड़ देते हैं। आप खुद को असहाय मान लेते हैं।
लेकिन जब आप यह स्वीकार करते हैं कि अंतिम फैसला हमेशा आपका होता है, तो आप अपनी शक्ति वापस ले लेते हैं। आप समझते हैं कि आप परिस्थितियों के शिकार नहीं हैं, बल्कि आप अपनी ज़िंदगी के निर्माता हैं।
निष्कर्ष
भाग्य और मौका सिर्फ़ आपको खेल के मैदान तक पहुँचा सकते हैं, लेकिन खेल कैसे खेलना है, इसका निर्णय आप ही लेंगे।
अपनी चुनौतियों के लिए किस्मत को दोष देना बंद करें। अपने अवसरों को मौका मानकर छोड़ना बंद करें।
अपने फैसलों को महत्व दें। क्योंकि आपकी ज़िंदगी की कहानी, आपके द्वारा लिए गए हर अंतिम फैसले से लिखी जाती है।
धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.
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