#94. सपने देखना मत छोड़ो: समय तो गुज़र ही जाएगा

नमस्ते दोस्तों,

हम सभी के पास बड़े सपने होते हैं। कुछ ऐसा हासिल करने का सपना जो हमारी ज़िंदगी को बदल दे। लेकिन अक्सर, हम अपने सपनों को बीच में ही छोड़ देते हैं। जानते हैं क्यों? क्योंकि हम सोचते हैं, "अरे! इसमें तो बहुत समय लगेगा।"

यह एक ऐसा विचार है जो हमें हमारी सबसे बड़ी कमज़ोरी से मिलाता है—जल्दबाज़ी। लेकिन आज हम इस विचार को पलट देंगे: किसी सपने को सिर्फ़ इसलिए मत छोड़ो क्योंकि उसे पूरा करने में समय लगेगा। समय तो वैसे भी गुज़र ही जाएगा।


समय किसी का इंतज़ार नहीं करता

ज़िंदगी की सच्चाई यह है कि समय अपनी गति से चलता रहता है, चाहे हम कुछ करें या न करें। अगर आपको अपनी डिग्री पूरी करने में चार साल लगेंगे, तो चार साल वैसे भी गुज़रेंगे। अगर आपको एक बिज़नेस को सफल बनाने में पाँच साल लगेंगे, तो वह पाँच साल का समय किसी भी हाल में गुज़रेगा।

अब चुनाव आपके हाथ में है:

  1. आप उन पाँच सालों को डर में बिता दें, यह सोचते हुए कि "यह बहुत लंबा सफर है," और अंत में आप वहीं खड़े रहें जहाँ आपने शुरुआत की थी।

  2. आप उन पाँच सालों में हर दिन अपने सपने की ओर एक कदम बढ़ाएँ, और जब वह समय पूरा हो, तो आप अपने लक्ष्य के साथ खड़े हों।

समय तो दोनों ही स्थितियों में गुज़रेगा। लेकिन एक स्थिति में, आपके पास सफलता की कहानी होगी, और दूसरी में, सिर्फ़ पछतावा


निरंतरता ही आपकी कुंजी है

जब कोई सपना बहुत बड़ा लगता है, तो उसे देखकर डरना स्वाभाविक है। लेकिन यहाँ एक रहस्य है: बड़ा सपना एक बार में पूरा नहीं होता, वह रोज़ थोड़ा-थोड़ा करके पूरा होता है।

  • सोच को बदलो: 'पाँच साल लगेंगे' की जगह सोचो 'आज मुझे क्या करना है।'

  • छोटे लक्ष्य: अपने बड़े सपने को छोटे-छोटे दैनिक, साप्ताहिक और मासिक लक्ष्यों में बाँटें।

  • प्रक्रिया का आनंद लें: जब आप हर दिन काम करने की प्रक्रिया का आनंद लेने लगते हैं, तो समय काटना आसान हो जाता है। आपको पता भी नहीं चलेगा और सालों कब गुज़र जाएंगे।


निष्कर्ष

याद रखें, आज के सफल लोग भी कभी वहाँ थे जहाँ आप आज हैं। उनके पास भी वही 24 घंटे थे जो आपके पास हैं। फ़र्क सिर्फ़ इतना था कि उन्होंने अपने सपने की लंबी अवधि से डरने के बजाय, धैर्य और निरंतरता के साथ काम करना चुना।

अपने सपनों को अपनी समय की चिंता के कारण मरने न दें। आज से ही पहला कदम उठाएँ।

समय तो गुज़र ही जाएगा, लेकिन यह आप पर निर्भर करता है कि जब यह गुज़रेगा, तो आपके पास एक पूरी हुई कहानी होगी या सिर्फ़ एक अधूरा ख़्वाब।

धन्यवाद,
Madhusuda Somani,
Ludhiana, Punjab.

Comments