नमस्ते दोस्तों,
आप कितनी बार डॉक्टर के पास गए हैं, दवा खाई है, और सोचा है कि अब आप पूरी तरह से ठीक हो गए हैं? लेकिन कुछ ही हफ्तों या महीनों बाद, वही माइग्रेन, वही पेट की समस्या, या वही पीठ का दर्द फिर से लौट आता है।
हम सिर्फ़ लक्षणों (Symptoms) का इलाज करते हैं, जड़ का नहीं। और यही वह गहरा सत्य है जिस पर हमें ध्यान देना होगा: शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के लिए, व्यक्ति को पहले उस समस्या के भावनात्मक पहलू को ठीक करना होगा, वरना वह किसी और रूप में फिर से उभर आएगी।
हमारा शरीर केवल एक मशीन नहीं है; यह हमारे मन का मंदिर है। और अगर मंदिर के भीतर गंदगी है, तो बाहर की सफ़ाई काम नहीं आएगी।
शरीर और मन का अटूट रिश्ता 🧠❤️
आज विज्ञान भी मानता है कि हमारा शरीर और हमारी भावनाएँ एक दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। जब आप लगातार तनाव (Stress), अनसुलझे ग़ुस्से (Unresolved Anger), या पुराने सदमे (Trauma) को अपने अंदर दबाकर रखते हैं, तो आपका शरीर प्रतिक्रिया करता है:
हार्मोन का हमला: तनाव में, शरीर कोर्टिसोल (Cortisol) और एड्रेनालाईन (Adrenaline) जैसे हार्मोन लगातार छोड़ता है। ये हार्मोन अगर लंबे समय तक शरीर में रहें, तो ये सूजन (Inflammation) बढ़ाते हैं, रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को कम करते हैं, और मांसपेशियों में स्थायी तनाव (Chronic Tension) पैदा करते हैं।
शरीर बनता है "डस्टबिन": जिस दुःख को आप रोकर बाहर नहीं निकालते, वह आपकी छाती में या गले में भारीपन बनकर बैठ जाता है। जिस ग़ुस्से को आप व्यक्त नहीं कर पाते, वह ब्लड प्रेशर या पेट की तेज़ाबियत बन जाता है। आपका शरीर उन भावनाओं का "डस्टबिन" बन जाता है जिन्हें आपका मन संभाल नहीं पाया।
यदि आप हर दिन सिरदर्द की दवा खा रहे हैं, लेकिन आपने अपने दैनिक तनाव को कम नहीं किया है, तो वह सिरदर्द कुछ समय बाद पेट का अल्सर बनकर वापस आ सकता है।
पूर्ण उपचार का रास्ता: भावनात्मक गाँठ खोलना
असली और स्थायी उपचार तब शुरू होता है जब हम अपने शरीर को सुनना शुरू करते हैं। हमारा शरीर हमसे कह रहा है: "देखो, तुम्हारे भीतर कुछ ऐसा है जिसे संबोधित करने की ज़रूरत है।"
पहचान और स्वीकार करें (Acknowledge): सबसे पहले यह पहचानें कि आपका दर्द कहाँ से आ रहा है। खुद से पूछें: क्या यह दर्द किसी तनावपूर्ण रिश्ते से जुड़ा है? क्या मैंने हाल ही में किसी गहरे दुःख को दबा दिया है? अपनी भावनाओं को स्वीकार करें, उन्हें दबाएँ नहीं।
अभिव्यक्त करें (Express and Release): भावनात्मक घाव को भरने के लिए उसे बाहर निकालना ज़रूरी है। इसके लिए आप:
बातचीत करें: किसी थेरेपिस्ट या भरोसेमंद दोस्त से बात करें।
लिखें: अपने विचारों और भावनाओं को डायरी में लिखें (जर्नलिंग)। यह एक शक्तिशाली तरीका है भावनाओं को शरीर से बाहर निकालने का।
माफ़ करें और जाने दें (Forgive and Let Go): किसी को माफ़ करना (यहाँ तक कि खुद को भी) उस भावनात्मक बोझ को हल्का करने का सबसे तेज़ तरीका है। माफ़ी देने का मतलब यह नहीं कि आप ग़लती को भूल जाएँ, बल्कि यह है कि आप उस घटना से जुड़ी कड़वाहट को अपने शरीर से निकाल दें।
निष्कर्ष
अपने शरीर को सिर्फ़ एक भौतिक ढाँचा न समझें। यह आपके मन और आत्मा का निवास स्थान है।
अगर आप वाकई स्थायी स्वास्थ्य चाहते हैं, तो अपने भीतर झाँकें। अपनी भावनाओं को अनदेखा न करें। जब आप अपने आंतरिक घावों को भरते हैं, जब आप अपने अनसुलझे भावनात्मक गांठों को खोलते हैं, तभी आपका शरीर पूरी तरह से और हमेशा के लिए ठीक होना शुरू करता है।
याद रखें: दवाएँ केवल लक्षण हटाती हैं, लेकिन भावनाएँ ही बीमारी की जड़ तक पहुँचती हैं।
धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.
Comments
Post a Comment