नमस्ते दोस्तों,
क्या आपने कभी किसी काम को करने से पहले ही यह मान लिया है कि 'यह मेरे बस की बात नहीं है'? हम अक्सर अपनी क्षमताओं को लेकर कुछ धारणाएँ बना लेते हैं, और यही धारणाएँ हमारे लिए सीमाएँ बन जाती हैं। हम सोचते हैं कि हम इससे ज़्यादा नहीं कर सकते, और इस सोच से हमारा विकास रुक जाता है।
लेकिन एक गहरा सत्य यह है: यह एहसास कि हमारी सीमाएँ केवल काल्पनिक हैं, आपको मज़बूत और शक्तिशाली बना देगा।
यह कोई ख़ाली वादा नहीं है, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक सच्चाई है। जब हम अपनी सीमाओं को तोड़ते हैं, तो हम पाते हैं कि हमारी असली शक्ति हमारे भीतर ही छिपी है।
क्यों हम अपनी सीमाएँ बनाते हैं?
हम अपनी सीमाएँ कई कारणों से बनाते हैं:
डर: हमें असफलता का डर होता है। हम सोचते हैं कि अगर हम कोशिश करेंगे और असफल हो गए, तो क्या होगा। यह डर हमें अपने comfort zone से बाहर नहीं निकलने देता।
पिछली असफलताएँ: अगर हम अतीत में किसी काम में असफल हुए हैं, तो हम मान लेते हैं कि हम वह काम फिर कभी नहीं कर सकते। हम अपने भविष्य को अपनी पिछली असफलताओं से परिभाषित करते हैं।
दूसरों की राय: हम अक्सर दूसरों की राय से प्रभावित होते हैं। अगर कोई हमें बताता है कि 'तुम यह नहीं कर सकते', तो हम इस बात को सच मान लेते हैं।
जब आप अपनी सीमाओं को तोड़ते हैं, तो क्या होता है?
जब आप यह पहचान लेते हैं कि आपकी सीमाएँ सिर्फ़ आपके दिमाग़ की उपज हैं, तो आप एक नई यात्रा शुरू करते हैं।
आत्मविश्वास बढ़ता है: जब आप कोई ऐसा काम पूरा करते हैं जिसे आप असंभव समझते थे, तो आपका आत्मविश्वास बहुत बढ़ जाता है। आपको खुद पर विश्वास होने लगता है।
असीम संभावनाएँ: आप पाते हैं कि आपके पास असीम संभावनाएँ हैं। आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं लगता। आप नए लक्ष्य तय करते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए उत्साहित होते हैं।
आप शक्तिशाली बनते हैं: यह सिर्फ़ शारीरिक शक्ति के बारे में नहीं है। यह मानसिक और भावनात्मक शक्ति के बारे में है। आप चुनौतियों से डरते नहीं, बल्कि उनका सामना करने के लिए तैयार होते हैं।
निष्कर्ष
हमारी असली सीमाएँ हमारे भीतर हैं, बाहर नहीं। यह डर, यह संदेह और यह नकारात्मक सोच ही हमें रोकती है।
आज से ही, अपने आप से यह वादा करें कि आप अपनी सीमाओं को तोड़ेंगे। एक-एक कदम उठाएँ। कोई भी छोटा-सा काम करें जिसे आप मुश्किल समझते हैं। आप देखेंगे कि जब आप अपनी पहली सीमा तोड़ते हैं, तो आपके अंदर एक नई शक्ति जन्म लेती है।
क्योंकि जब आप अपनी सीमाओं को काल्पनिक मान लेते हैं, तो आप एक नई और शक्तिशाली ज़िंदगी जीने के लिए तैयार होते हैं।
धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.
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