नमस्ते दोस्तों,
आज एक ऐसे विचार पर बात करते हैं जो हमारे आपसी रिश्तों और व्यक्तिगत विकास से जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसी सच्चाई है जिसे हम सब जानते हैं, फिर भी अक्सर भूल जाते हैं: किसी ने भी किसी और को छोटा दिखाकर खुद को महान नहीं बनाया है।
हम अक्सर दूसरों से बेहतर महसूस करने की चाहत में उनकी कमियाँ निकालते हैं, उनकी आलोचना करते हैं और उन्हें नीचा दिखाते हैं। हमें लगता है कि ऐसा करने से हम खुद बड़े हो जाएँगे, लेकिन असल में, हम सिर्फ़ अपनी ही छोटी सोच का परिचय देते हैं।
यह एक खोखला एहसास है
किसी और को छोटा दिखाने से आपको क्षणिक खुशी मिल सकती है, लेकिन यह खुशी खोखली होती है। यह उस तरह की खुशी नहीं है जो आपकी सच्ची उपलब्धि से आती है। जब आप किसी की आलोचना करते हैं, तो आप अपनी ऊर्जा और समय बर्बाद करते हैं, जो आप अपने खुद के विकास पर लगा सकते थे।
सच्ची महानता दूसरों को नीचा दिखाने में नहीं, बल्कि उन्हें ऊपर उठाने में होती है। जब आप किसी की मदद करते हैं, किसी को प्रोत्साहित करते हैं, या किसी की सफलता का जश्न मनाते हैं, तो आप खुद को और भी बड़ा बनाते हैं।
आपकी महानता आपके कार्यों में है
महान लोग दूसरों की सफलता से डरते नहीं, बल्कि उनसे सीखते हैं। वे दूसरों की कमियों पर ध्यान देने के बजाय, उनकी ताक़त को पहचानते हैं। वे जानते हैं कि हर व्यक्ति में कुछ न कुछ ख़ास होता है, और वे उस ख़ासियत का सम्मान करते हैं।
महान लोग दूसरों की प्रशंसा करते हैं।
वे दूसरों की मदद करते हैं।
वे अपनी सफलताओं को दूसरों के साथ बाँटते हैं।
यह न भूलें कि आप जो दूसरों को देते हैं, वही आपको वापस मिलता है। अगर आप दूसरों को सम्मान देंगे, तो आपको भी सम्मान मिलेगा। अगर आप दूसरों की मदद करेंगे, तो कोई आपकी भी मदद करेगा।
निष्कर्ष
अगर आप सच में महान बनना चाहते हैं, तो दूसरों को नीचा दिखाना बंद करें। अपनी ऊर्जा को अपने विकास पर लगाएँ, दूसरों की मदद करें और उनकी सफलताओं का सम्मान करें।
क्योंकि आपकी महानता इस बात से तय नहीं होती कि आप दूसरों को कितना छोटा दिखाते हैं, बल्कि इस बात से होती है कि आप खुद कितने बड़े बनते हैं।
धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.
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