#46. अपनी आवाज़ सुनें - यहीं से प्रतिभा का जन्म होता है

नमस्ते दोस्तों,

आज एक ऐसे विचार पर बात करते हैं जो हमें अपनी असली क्षमता को पहचानने में मदद करता है: वह भावना जो आपसे कहती है, 'मुझे कुछ करना है', वही आपकी प्रतिभा (talent) की शुरुआत है।

हम अक्सर यह सोचते हैं कि प्रतिभा कोई ऐसी चीज़ है जो हमें जन्म से मिली होती है। हम महान कलाकारों, वैज्ञानिकों, या खिलाड़ियों को देखते हैं और सोचते हैं कि वे तो प्रतिभाशाली पैदा हुए थे। लेकिन सच्चाई यह है कि हर प्रतिभा की शुरुआत एक छोटी सी इच्छा से होती है - एक ऐसी भावना जो हमें किसी खास काम की ओर खींचती है।

'मुझे कुछ करना है' - एक आंतरिक पुकार

यह 'मुझे कुछ करना है' वाली भावना कोई सामान्य विचार नहीं है। यह एक आंतरिक पुकार है, एक चिंगारी है जो हमारे अंदर किसी काम के प्रति जुनून जगाती है। यह वह पल है जब आप किसी को गाते हुए देखते हैं और आपके दिल में एक आवाज़ उठती है, "काश मैं भी गा पाता।" यह वह पल है जब आप किसी को कुछ बनाते हुए देखते हैं और आपके मन में विचार आता है, "मैं भी ऐसा कुछ बना सकता हूँ।"

यह इच्छा, यह भावना ही आपकी प्रतिभा का बीज है।

  • एक बच्चा जो बिना किसी के कहे घंटों ड्राइंग करता रहता है, उसकी यह इच्छा ही उसकी कलात्मक प्रतिभा का पहला संकेत है।

  • एक व्यक्ति जो समाज में बदलाव लाना चाहता है और खुद को दूसरों की मदद करने के लिए प्रेरित महसूस करता है, उसकी यह भावना ही उसकी नेतृत्व या सामाजिक सेवा की प्रतिभा की शुरुआत है।

इच्छा को प्रतिभा में बदलना

यह समझना ज़रूरी है कि 'मुझे कुछ करना है' सिर्फ़ पहला कदम है। प्रतिभा सिर्फ़ इच्छा से नहीं बनती। इसे मेहनत, अभ्यास और समर्पण से सींचा जाता है।

अगर आपके अंदर किसी चीज़ को करने की इच्छा है, तो उसे नज़रअंदाज़ न करें। उसे एक संकेत मानें कि आपके अंदर कुछ खास करने की क्षमता है।

  1. इच्छा को पहचानें: अपने मन की सुनें। वह कौन सी चीज़ है जो आपको उत्साहित करती है? किस काम में आपको समय का पता ही नहीं चलता?

  2. पहला कदम उठाएं: उस इच्छा को पूरा करने के लिए एक छोटा सा कदम उठाएं। अगर आप गाना चाहते हैं, तो गाना शुरू करें। अगर आप लिखना चाहते हैं, तो एक वाक्य लिखें।

  3. निरंतर प्रयास करें: हर दिन थोड़ा-थोड़ा प्रयास करें। यही निरंतरता आपकी प्रतिभा को निखारेगी।

निष्कर्ष: अपनी आवाज़ सुनें

तो दोस्तों, अगली बार जब आपके दिल से यह आवाज़ आए, 'मुझे कुछ करना है', तो उसे गंभीरता से लें। उसे एक सपना समझें, एक संकेत मानें कि आपके अंदर एक ऐसी प्रतिभा छिपी है जो दुनिया को कुछ नया दे सकती है।

अपनी इच्छा को पंख दें। उसे अपनी प्रतिभा में बदलें। क्योंकि ज़िंदगी का असली मज़ा तब है जब आप वही करते हैं जो आप करना चाहते हैं, और उसमें अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं।

धन्यवाद,
Madhusudan Somani,
Ludhiana, Punjab.

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