#8. बस तैयारी की बात है...

कल मैंने कहा था की विल-पावर होने से हम अपनी कोई भी आदत बदल सकते हैं| लेकिन आज इंटरनेट पर एक विचार पढ़ने के बाद उसमे थोड़ा सा सुधार करना चाहूँगा|

"कुछ लोगों में इच्छाशक्ति होती है और कुछ में नहीं, ऐसा नहीं है। बात बस इतनी है कि कुछ लोग बदलाव के लिए तैयार होते हैं और कुछ नहीं।"

हम अक्सर सुनते हैं कि 'उसमें बहुत इच्छाशक्ति है', या 'काश मुझमें भी उतनी इच्छाशक्ति होती'। हम इच्छाशक्ति को एक ऐसी चीज़ मानते हैं जो या तो आपके पास होती है या नहीं होती, जैसे कोई जन्मजात गुण हो। पर क्या सच में ऐसा है?

मुझे लगता है कि यह इच्छाशक्ति से ज़्यादा तैयारी का मामला है। सोचिए, जब आप कोई बड़ा बदलाव करने की सोचते हैं, जैसे सुबह जल्दी उठना, रोज़ाना व्यायाम करना, या कोई बुरी आदत छोड़ना। शुरुआत में आप जोश में होते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में आपका जोश ठंडा पड़ने लगता है। क्या इसका मतलब यह है कि आपमें इच्छाशक्ति की कमी है?

शायद नहीं। शायद इसका मतलब यह है कि आप उस बदलाव के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थे। तैयारी का मतलब सिर्फ़ शारीरिक रूप से तैयार होना नहीं है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी तैयार होना है।

जब कोई किसी चीज़ को बदलने के लिए वाकई अंदर से तैयार होता है, तो इच्छाशक्ति अपने आप आ जाती है। उन्हें लगता है कि यह बदलाव ज़रूरी है, यह उनके लिए अच्छा है, और वे इसके बिना रह नहीं सकते। उस समय, चुनौतियां बाधाएं नहीं लगतीं, बल्कि अवसर लगती हैं। वे बहाने नहीं ढूंढते, बल्कि समाधान खोजते हैं।

उदाहरण के लिए, किसी ने कई बार सोचा कि वह रोज़ सुबह जल्दी उठेगा। पहले कुछ दिन तो वह उठ जाता था, लेकिन फिर धीरे-धीरे वही देर से उठने की आदत लौट आती थी। वह खुद को कोसता था कि उसमें इच्छाशक्ति नहीं है। लेकिन हाल ही में, जब उसे एक नए प्रोजेक्ट पर काम करना था जिसके लिए सुबह का शांत समय ज़रूरी था, तो वह बिना किसी ज़ोर-ज़बरदस्ती के रोज़ सुबह जल्दी उठने लगा। अचानक से इच्छाशक्ति आ गई, क्योंकि वह उस बदलाव के लिए तैयार था।

तो, अगली बार जब आप खुद को किसी चीज़ में असफल पाएं और सोचें कि आपमें इच्छाशक्ति की कमी है, तो ज़रा रुकिए और सोचिए: क्या आप उस बदलाव के लिए वाकई तैयार हैं? शायद यही सवाल है जो हमें सही दिशा दिखाएगा।

शुभ रात्रि!
Madhusudan Somani.

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